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CHARU KAIN ALIGARH
bureau | November 15, 2024 | 0 Comments

Uttar Pradesh by election 2024: BJP is in direct competition with Samajwadi Party on Aligarh Khair Seat for the first time

Up by-election 2024: यूपी की इस सीट पर पहली बार भाजपा का समाजवादी पार्टी से सीधा मुकाबला है। भाजपा जातीय समीकरणों के मकड़जाल को ध्रुवीकरण से काटने की कोशिश में है।

उपचुनाव में जाट बहुल खैर सीट पर इस बार समीकरण बदले हुए हैं। भाजपा का मुकाबला 2022 में बसपा प्रत्याशी रहीं और इस बार समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहीं चारू केन से है। 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना हुई थी और उसके बाद से 32 साल बाद खैर सीट पर पहली बार समाजवादी पार्टी सीधे मुकाबले में है।

पिछले पांच चुनावों में एक बार जीत दर्ज करने वाली और चार बार दूसरे स्थान पर रही बसपा सपा व भाजपा के बीच सीधे मुकाबले में तीसरा कोण बनने के लिए भी संघर्ष करती दिख रही है।

दलितों में बिखराव ने उसके लिए मुश्किल खड़ी कर दी हैं। यहां कब्जा बरकरार रखने के लिए भाजपा और प्रत्याशी सुरेंद्र दिलेर के लिए राजनीतिक विरासत को कायम रखने का इम्तिहान है। इसमें बड़ी चुनौती अपनों की गुटबाजी से मिल रही है।

हरियाणा में पलवल और यूपी में गौतमबुद्धनगर और मथुरा जिले की सीमा से सटा खैर विधानसभा क्षेत्र वो इलाका है, जहां भविष्य का नया अलीगढ़ विकसित हो रहा है। यहीं पर डिफेंस कॉरिडोर बन रहा है।

ध्रुवीकरण को धार दे रही भाजपा

इसकी सीमा पर ही राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विवि और ट्रांसपोर्ट नगर बन रहे हैं। ग्रेटर अलीगढ़ भी इसी क्षेत्र में बनाने की तैयारी है। दक्षिणी सीमा पर यमुना एक्सप्रेस है। हालांकि यह सब चुनाव में मुद्दा नहीं है, जातीय समीकरण ही चुनाव में अहम है। जतीय समीकरणों के मकड़जाल को काटने के लिए भाजपा ध्रुवीकरण को धार दे रही है।

पलवल-अलीगढ़ हाईवे पर स्थित गांव अर्राना में ताश खेल रहे अजय शर्मा चुनाव की चर्चा छिड़ते ही कहते हैं कि यहां तो फूल ही जीतेगा, तभी उनके साथ बैठे मलखान सिंह कहते हैं कि नहीं, गांव की ज्यादातर वोट समाजवादी पार्टी को जाएगी।

भाजपा ने कौन सा बढ़िया किया है। अजय शर्मा उनकी बात काटते हैं कि ऐसा नहीं है। प्रत्याशी और पार्टी दोनों ही मामलों में भाजपा अच्छी है। इनकी बात काटते हुए रमेश चंद शर्मा कहते हैं कि यहां तो साइकिल और फूलन का ही वोट है।

गांव में ब्राहमण, जाट, बघेल, जाटव, वाल्मीकि समाज और सूर्यवंशी (खटीक) समाज के वोट हैं। यहां बसपा के परंपरागत दलित वोट बैंक में सपा, आसपा और भाजपा प्रत्याशी सेंध लगा रहे हैं। यहां से चुनावी समीकरणों की तस्वीर साफ होती नजर आई। कमोवेश यही स्थिति अन्य जगह भी है।

मिनी छपरौली रही है यह सीट

2012 में इस सीट को सुरक्षित घोषित किया गया था। लोकदल का मजबूत गढ़ रही है। 1969 में चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से महेंद्र सिंह चुनाव जीते थे। 1991 में भाजपा के टिकट पर महेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की। 1996 में इस सीट पर चौधरी चरण सिंह की बेटी ज्ञानवती भाजपा के टिकट पर विधायक चुनी गई थीं।

2007 और 2012 में रालोद ने यह सीट जीती

1985, 1989 में जनता दल के टिकट पर जगवीर सिंह चुनाव जीते। रालोद तब जनता दल का हिस्सा था। 2007 और 2012 में रालोद ने यह सीट जीती। अब तक हुए चुनाव में चार बार भाजपा, पांच बार रालोद, एक बार बसपा, पांच बार कांग्रेस ने यह सीट जीती है।

सपा जहां जाट, मुस्लिम समीकरण के साथ दलित और पिछड़ों को साधने की कोशिश कर रही है, भाजपा ध्रुवीकरण की कोशिश में है। मुख्यमंत्री ने चुनावी संबोधन के दौरान बटोगे तो कटेगो, एक रहोगे तो सेफ रहोगे जैसी बातें कहकर इसे साफ भी किया था।

वोट बैंक में सपा और भाजपा दोनों ही सेंध लगाने की कोशिश में

साथ ही अलीगढ़ मुस्लिम विवि के अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा भी उठाया और कहा कि केंद्र सरकार के पैसे से चलता एएमयू, यहां दलित और पिछड़ों को आरक्षण मिलना चाहिए। मुश्किल में बसपा प्रत्याशी है, जिसके वोट बैंक में सपा और भाजपा दोनों ही सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

पार्टी की रार थामने में जुटी भाजपा

पार्टी में गुटबाजी से भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी अनजान नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले 28 अगस्त को खैर आए थे। तब उन्होंने विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को चेक व प्रमाणपत्र दिए थे। खखैर में इस कार्यक्रम को रखने का मकसद यहां के चुनावी समीकरण साधना भी था। उस समय उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ अलग से बात की थी और गुटबाजी से ऊपर उठकर पार्टी के लिए काम करने पर जोर दिया था।

नौ नवंबर को खैर में चुनावी सभा को संबोधित किया। तब भी कार्यकर्ताओं को नसीहत देकर गए थे। गुटबाजी को वह भांप गए थे और इसके अगले ही दिन संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह हेलिकॉप्टर से अलीगढ़ पहुंचे और कार्यकर्ताओं से बात की। अब 15 नवंबर को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खैर में चुनावी सभा करने आ रहे हैं। इसके अगले दिन 16 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुलाने की तैयारी भाजपा नेता कर रहे हैं। यानी भाजपा इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।

गठबंधन की भी होगी परीक्षा

उपचुनाव में इस बार साथी बदल गए हैं। पिछले चुनाव में सपा और रालोद के बीच गठबंधन था। रालोद इस बार भाजपा के साथ खड़ा है। जयंत चौधरी भी भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में सभा करने जा रहे हैं। कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन है। पहले सीट कांग्रेस के खाते में जाने की संभावना थी।

ये प्रत्याशी हैं मैदान में

बसपा : डॉ. पहल सिंह
भाजपा: सुरेंद्र दिलेर
सपा: चारु कैन

4,02819 कुल मतदाता
2,15075 पुरुष
1,87664 महिला
जातिगत आंकड़े (अनुमानित)
जाट 1.5 लाख
अनुसूचित जाति 55 हजार
ब्राह्मण 70 हजार
मुस्लिम 35 हजार
ठाकुर 30 हजार
वैश्य 20 हजार
पिछड़े 40 हजार

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